
आगरा,जैसे-जैसे सावन का पवित्र महीना नजदीक आ रहा है, देश-विदेश के शिवालयों में भगवान शिव के दर्शन के लिए भक्तों की भीड़ उमड़ने को तैयार है। आगरा शहर भी महादेव के कई ऐसे पौराणिक और ऐतिहासिक मंदिरों का घर है, जिनमें से एक है पृथ्वीनाथ महादेव मंदिर। यह मंदिर न केवल अपने प्राचीन महत्व के लिए जाना जाता है, बल्कि इससे जुड़ी चमत्कारी कहानियाँ इसे और भी खास बनाती हैं।
कहा जाता है कि इस मंदिर का निर्माण पृथ्वीराज चौहान ने करवाया था। पुराणों के अनुसार, उन्हें यह शिवलिंग जमीन के नीचे मिला था, और उन्हीं के नाम पर इस मंदिर का नाम ‘पृथ्वीनाथ महादेव मंदिर’ पड़ा। मंदिर के महंत भी बताते हैं कि इस शिवलिंग की गहराई अनंत मानी जाती है।
अद्भुत खोज: पृथ्वीराज चौहान और अनंत शिवलिंग
मंदिर महंत के अनुसार, जिस स्थान पर आज यह मंदिर है, वहाँ कभी घना जंगल हुआ करता था। एक बार पृथ्वीराज चौहान इस रास्ते से गुजर रहे थे और उन्होंने यहाँ रुककर आराम करने का मन बनाया। उन्होंने अपना घोड़ा एक स्थान पर बाँधा, लेकिन कुछ ही देर में वह खुल गया। बार-बार कोशिश करने पर भी वे घोड़े को बाँध नहीं पाए, जिससे वे परेशान हो गए। घोड़े को बाँधने के लिए उपयुक्त जगह तलाशते हुए, उन्हें अचानक जमीन में गड़ा हुआ एक शिवलिंग मिला।
पृथ्वीराज चौहान ने शिवलिंग को उखाड़ने की बहुत कोशिश की, लेकिन काफी खुदाई के बाद भी उसका कोई ओर-छोर नहीं मिला। इसके बाद उन्होंने शिवलिंग की पूजा करनी शुरू की, और यहीं पर मंदिर का निर्माण कराया गया। तब से इस मंदिर की मान्यता बढ़ती चली गई, और उन्हीं के नाम पर इसका नाम पृथ्वीनाथ महादेव मंदिर पड़ गया। भक्तों का मानना है कि जो भी सच्चे मन से यहाँ कुछ मांगता है, उसकी हर मुराद पूरी होती है।
सेठ-साहूकारों के योगदान से भव्यता की ओर
समय के साथ, आगरा के सेठ और साहूकार भी मंदिर के दर्शन और पूजा-पाठ के लिए आने लगे। उन्होंने अपनी कमाई का कुछ प्रतिशत बाबा के नाम पर दान करना शुरू कर दिया। इससे मंदिर में काफी धन एकत्र हुआ, और मंदिर का निर्माण कार्य दिन-प्रतिदिन बढ़ता गया। देखते ही देखते, यह मंदिर एक भव्य रूप में परिवर्तित हो गया।
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50 फीट खुदाई के बाद भी अछूता, महादेव का चमत्कार!
एक और अविश्वसनीय कहानी मंदिर के शिवलिंग की अनंत गहराई को दर्शाती है। कहा जाता है कि एक बार शिवलिंग को 3 फुट गड्ढे से ऊपर लाने की कोशिश की गई थी। खुदाई का काम शुरू हुआ, लेकिन 50 फीट तक खुदाई करने के बाद भी शिवलिंग का छोर नहीं मिला। इस दौरान एक चमत्कार हुआ – खुदाई करते समय मजदूर मिट्टी में दब गए, लेकिन महादेव की कृपा से वे सुरक्षित निकल आए, भगवान का कीर्तन करते हुए! जब मजदूरों से पूछा गया कि वे कैसे बचे, तो उन्होंने बताया कि उन्हें शंकर भगवान ने बचाया था। उन्होंने देखा कि मिट्टी गिर रही है, और उन्होंने पाषाण लिंग को पकड़ लिया। उन्होंने यह भी बताया कि एक त्रिशूल आया और मिट्टी को रोक लिया। इस घटना के बाद, स्वर्गीय पंडित मेवाराम, स्वर्गीय पंडित मोहन लाल महंत, और वासुदेव बंसल जी को भगवान शिव ने स्वप्न में दर्शन दिए और बताया, “मुझे जानने की कोशिश मत करो, मैं यहाँ आदि अनादि काल से विराजमान हूँ। खुदाई रोक दो।” जिसके बाद सुबह होते ही खुदाई रुकवा दी गई।
आज भी, बाबा पृथ्वीनाथ महाराज लगभग 7-8 फीट गहरे गड्ढे में विराजमान हैं। स्वर्गीय लाल वासुदेव की संतति आज भी इस बात की गवाह है कि इस पाषाण शिवलिंग का अंत आज तक नहीं मिला है। पृथ्वीनाथ महादेव मंदिर सिर्फ एक पूजा स्थल नहीं, बल्कि आस्था, चमत्कार और पौराणिक कथाओं का एक जीवंत प्रतीक है, जहाँ हर सावन में भक्तों का सैलाब उमड़ता है।