वाइल्डलाइफ एसओएस ने लॉन्च किया ‘बेगिंग एलीफैंट’ अभियान, 2030 तक भीख मांगने वाले हाथियों की प्रथा को समाप्त करने का लक्ष्य

आगरा। हर साल 12 अगस्त को मनाए जाने वाले विश्व हाथी दिवस पर, वाइल्डलाइफ एसओएस ने भारत में हाथियों के संरक्षण और उनके प्रति होने वाली क्रूरता को उजागर किया है. संस्था ने ‘बेगिंग एलीफैंट’ अभियान के माध्यम से भीख मांगने वाले हाथियों की दर्दनाक प्रथा को समाप्त करने का संकल्प लिया है. इस अभियान का उद्देश्य पीड़ित हाथियों को बचाना और उन्हें एक सुरक्षित जीवन देना है. हालाँकि, इस महान लक्ष्य को पाने के लिए जन समर्थन की तत्काल आवश्यकता है.

रामू की दर्दनाक कहानी: एक चेतावनी जो हमें सोचने पर मजबूर करती है

इस अभियान में 72 वर्षीय हथिनी रामू की कहानी सबसे हृदय विदारक है, जिसने तीन दशक तक उदयपुर की सड़कों पर भीख मांगते हुए बिताया. जब वाइल्डलाइफ एसओएस की टीम ने उसे बचाया, तब तक वह बहुत बीमार हो चुकी थी. उसके पैरों में सड़न थी, और शरीर पर अनगिनत घाव थे. मई 2025 में, चौबीसों घंटे की देखभाल के बावजूद, रामू का दुखद निधन हो गया. उसकी कहानी हमें यह याद दिलाती है कि बदलाव का इंतज़ार नहीं किया जा सकता.

मनु और हरि की नई शुरुआत, वाइल्डलाइफ एसओएस का सफल बचाव अभियान

रामू की दुखद कहानी के बीच, कुछ सफलता की कहानियाँ भी हैं. वाइल्डलाइफ एसओएस ने मनु और हरि नामक दो नर हाथियों को सफलतापूर्वक बचाया है. मनु के पैरों के नाखून बुरी तरह से फटे हुए थे, जो वर्षों तक गर्म डामर पर चलने का परिणाम था. वहीं, हाल ही में बचाए गए हरि का इलाज और व्यवहारिक पुनर्वास चल रहा है. ये बचाव अभियान दर्शाते हैं कि सही प्रयास से इन बेजुबानों का जीवन बचाया जा सकता है.

नागरिकों से अपील: याचिका पर हस्ताक्षर कर इस आंदोलन का हिस्सा बनें

वाइल्डलाइफ एसओएस नागरिकों से इस क्रूर प्रथा के खिलाफ आवाज उठाने का आग्रह कर रहा है. संस्था ने एक याचिका पर हस्ताक्षर करने की अपील की है, जिसमें हाथियों द्वारा भीख मांगने पर पूर्ण प्रतिबंध और पशु कल्याण कानूनों को और मजबूत करने की मांग की गई है. आप इस याचिका पर हस्ताक्षर करके इस आंदोलन का हिस्सा बन सकते हैं.

वाइल्डलाइफ एसओएस के सह-संस्थापक कार्तिक सत्यनारायण ने कहा, “यह अभियान सिर्फ एक मिशन नहीं, बल्कि एक आंदोलन है.” उन्होंने यह भी कहा, “हमने उपेक्षा और क्रूरता के बुरे परिणामों को देखा है, लेकिन साथ ही यह भी देखा है कि देखभाल और नीतियों में बदलाव से क्या हासिल किया जा सकता है.

गीता शेषमणि, सह-संस्थापक और सचिव, ने कहा कि इन हाथियों को अब देखभाल, करुणा और सम्मान की ज़रूरत है. उन्होंने नागरिकों से समर्थन की अपील करते हुए कहा, “हमें बड़े पैमाने पर लोगों के समर्थन की ज़रूरत है, ताकि कोई भी हाथी इस क्रूरता का शिकार न हो.

वन विभाग के सहयोग की सराहना

वाइल्डलाइफ एसओएस के डायरेक्टर कंज़र्वेशन प्रोजेक्ट्स, बैजूराज एम.वी. ने इन बचाव अभियानों को सफल बनाने में वन विभागों की महत्वपूर्ण भूमिका की सराहना की. उन्होंने कहा, “यह दर्शाता है कि जब सरकार, गैर-सरकारी संगठन और नागरिक एक साथ काम करते हैं, तो सब संभव है.

“यह अभियान शहरी सड़कों, शादी के जुलूसों और भीख मांगने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले हाथियों के शोषण को समाप्त करने के लिए एक राष्ट्रीय आंदोलन का नेतृत्व कर रहा है, ताकि उन्हें दीर्घकालिक चिकित्सा देखभाल और एक सुरक्षित अभयारण्य मिल सके.