
कलश स्थापना के तीन शुभ मुहूर्त और देवी मां के प्रिय रंग-फूलों की पूरी जानकारी
आगरा: मां दुर्गा के भक्तों का इंतजार अब खत्म होने जा रहा है। कल यानी 22 सितंबर, सोमवार से नौ दिनों का पवित्र पर्व शारदीय नवरात्रि शुरू हो रहा है। इस साल यह पर्व 10 दिनों का होगा, जो एक दुर्लभ संयोग है। ऐसा 9 साल बाद हो रहा है, जब नवरात्रि की अवधि बढ़ रही है। इस साल दो चतुर्थी तिथियां पड़ रही हैं। इस शुभ अवसर पर माता रानी हाथी पर सवार होकर आ रही हैं, जिसे ज्ञान और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है।
कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त
नवरात्रि की शुरुआत कलश स्थापना के साथ होती है, जिसे घटस्थापना भी कहते हैं। शास्त्रों के अनुसार, शुभ मुहूर्त में की गई घटस्थापना से पूजा का फल कई गुना बढ़ जाता है। ज्योतिषाचार्ययों के अनुसार, कलश स्थापना के लिए तीन शुभ मुहूर्त हैं।
शुभ मुहूर्त 1: सुबह 06:11 से 07:54 बजे तक
शुभ मुहूर्त 2: दोपहर 11:47 से 12:35 बजे तक (अभिजीत मुहूर्त)
शुभ मुहूर्त 3: शाम 05:20 से 06:47 बजे तक
कलश स्थापना की विधि और सामग्री
कलश स्थापना के लिए कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए।
कलश में ज़रूर डालें: जौ, सिक्का, सुपारी, अक्षत, और गंगाजल।
सही जगह: कलश को घर के ईशान कोण (उत्तर-पूर्व) में स्थापित करें।
शुभ संकेत: कलश के नीचे मिट्टी की वेदी बनाकर उसमें जौ बोएं। यह समृद्धि का प्रतीक है।
नवरात्रि में हर दिन करें मां की विशेष पूजा
नवरात्रि के इन 10 दिनों में मां दुर्गा के नौ अलग-अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है। हर देवी का अपना प्रिय रंग और फूल होता है।
स्कंदमाता: इन्हें पीले फूल विशेष रूप से पसंद हैं, इनका संबंध नारंगी रंग से है।
कात्यायनी: इन्हें लाल रंग से दर्शाया गया है और बेर के फूल से इनकी पूजा करनी चाहिए।
कालरात्रि: इनका संबंध हरे रंग से है, इन्हें रातरानी या गेंदा के फूल चढ़ाएं।
महागौरी: गहरे नीले रंग से जुड़ी इस देवी की पूजा मोगरे के फूल से करें।
सिद्धिदात्री: इनका प्रिय रंग गुलाबी है, मां की पूजा चंपा या गुड़हल के फूल से करनी चाहिए।
विजयादशमी: इस साल विजयादशमी का पर्व 2 अक्टूबर को मनाया जाएगा, इसी दिन मां दुर्गा की प्रतिमाओं का विसर्जन होगा।
नोट: यह जानकारी मान्य ज्योतिष और धर्मशास्त्रों पर आधारित है। अपनी पूजा विधि के लिए आप अपने स्थानीय पंडित से भी सलाह ले सकते हैं।