
आगरा में 14 शिक्षण संस्थानों के 70 प्रतिभागियों ने लिया हिस्सा, एड्स जागरूकता के लिए हुआ अनोखा प्रयास
आगरा: उत्तर प्रदेश राज्य एड्स नियंत्रण सोसाइटी द्वारा आयोजित ‘रेड रन मैराथन’ में आगरा के 14 स्कूलों और कॉलेजों के 70 युवा धावकों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। इस आयोजन का उद्देश्य एचआईवी/एड्स के प्रति समाज में जागरूकता बढ़ाना था। प्रतियोगिता में उत्कृष्ट प्रदर्शन करते हुए पुरुष वर्ग में सीएस डिग्री कॉलेज के शिव बघेल, महिला वर्ग में आगरा कॉलेज की मोहिनी और ट्रांस जेंडर वर्ग में एसएसएस स्कूल के सागर ने प्रथम स्थान हासिल किया।
यह मैराथन पालीवाल पार्क स्थित डॉ. बीआर अंबेडकर विश्वविद्यालय के मुख्य द्वार से शुरू हुई, जिसका उद्घाटन मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. अरुण कुमार श्रीवास्तव और जिला क्षय रोग एवं एड्स अधिकारी डॉ. सुखेश गुप्ता ने हरी झंडी दिखाकर किया।
विजेताओं का सम्मान और जागरूकता का संदेश
प्रतियोगिता के समापन पर, सभी विजेताओं को प्रमाण पत्र और सांत्वना पुरस्कार से सम्मानित किया गया। पुरुष वर्ग में सेंट जॉन्स कॉलेज के प्रवीण कुमार ने दूसरा और धर्मा ने तीसरा स्थान प्राप्त किया। महिला वर्ग में आगरा कॉलेज की सपना ने दूसरा और श्री तुलाराम इंटर कॉलेज की कशिश ने तीसरा स्थान हासिल किया। वहीं, ट्रांस जेंडर वर्ग में ज्ञानी इंटर कॉलेज के यश ने दूसरा और आगरा कॉलेज की लीजा ने तीसरा स्थान प्राप्त किया।
डॉ. सुखेश गुप्ता ने एचआईवी और एड्स के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी साझा करते हुए बताया कि एचआईवी एक वायरस है जो शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर करता है, जिससे शरीर रोगों से लड़ने में असमर्थ हो जाता है। उन्होंने एचआईवी के संचरण के मुख्य माध्यमों – यौन संबंध, रक्त संचारण और मां से बच्चे तक – पर प्रकाश डाला और एंटीरेट्रोवाइरल थेरेपी (ART) के महत्व को समझाया।
एचआईवी/एड्स: लक्षण और बचाव
इस कार्यक्रम ने न केवल खेल को प्रोत्साहित किया, बल्कि एचआईवी/एड्स से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी भी लोगों तक पहुंचाई। डॉ. गुप्ता ने इसके कुछ प्रमुख लक्षण भी बताए:
बुखार
थकान और वजन कम होना
त्वचा पर दाने
लगातार स्वास्थ्य समस्याएं
साथ ही, उन्होंने एचआईवी से बचाव के लिए कुछ महत्वपूर्ण उपाय भी सुझाए:
सुरक्षित यौन संबंध बनाएं।
रक्तदान से पहले रक्त की पूरी जांच कराएं।
सुई और सिरिंज का दोबारा उपयोग न करें।
टैटू या पियर्सिंग के लिए हमेशा सुरक्षित और स्टरलाइज़्ड उपकरणों का प्रयोग करें।
गर्भावस्था के दौरान एचआईवी की जांच अवश्य कराएं। यह कार्यक्रम जिला क्षय रोग केंद्र की टीम, दिशा कलस्तर यूनिट और एचआईवी/एड्स के क्षेत्र में काम कर रहे गैर-सरकारी संगठनों (एनजीओ) वेलफेयर सोसाइटी के सहयोग से सफल हो पाया।