
प्रकृति के इंजीनियरों को बचाने का राष्ट्रव्यापी अभियान शुरू
हर साल 22 सितंबर को मनाए जाने वाले हाथी प्रशंसा दिवस पर, वन्यजीवों के संरक्षण में लगी संस्था वाइल्डलाइफ एसओएस ने भारत के हाथियों की सुरक्षा और उनके कल्याण के लिए एक ज़ोरदार पहल की है। संस्था ने पारिस्थितिकी तंत्र में इन विशालकाय जीवों की महत्वपूर्ण भूमिका को उजागर करते हुए, उनके शोषण और दुर्व्यवहार को पूरी तरह खत्म करने का आह्वान किया है।
हाथी: हमारे पारिस्थितिकी तंत्र के असली नायक
हाथी न सिर्फ़ विशाल और शक्तिशाली जीव हैं, बल्कि वे जंगल के इंजीनियर भी हैं। वे अपने आवागमन से नए रास्ते बनाते हैं, जिससे सूर्य का प्रकाश छोटे पौधों तक पहुंचता है और जंगल की वनस्पति को बढ़ावा मिलता है। साथ ही, वे अपने गोबर से बीजों का फैलाव करते हैं, जिससे नए पेड़-पौधे उगते हैं और जैव विविधता बनी रहती है। वाइल्डलाइफ एसओएस के सीईओ कार्तिक सत्यनारायण ने कहा, “हाथी हमारी सांस्कृतिक विरासत का हिस्सा हैं और हमारे पारिस्थितिकी तंत्र के आधार स्तंभ भी। हम इस दिन उनके शोषण को खत्म कर उन्हें वह सम्मान और देखभाल देना चाहते हैं, जिसके वे वास्तव में हकदार हैं।

“‘बेगिंग एलीफेंट कैंपेन’: शोषण के खिलाफ एक मज़बूत आवाज़
हाथियों के सामने आने वाले खतरों को देखते हुए, वाइल्डलाइफ एसओएस ने ‘बेगिंग एलीफेंट कैंपेन’ की शुरुआत की है। यह एक राष्ट्रव्यापी अभियान है जिसका उद्देश्य उन हाथियों को बचाना है जिन्हें भीख मांगने, मंदिरों के अनुष्ठानों और शादी समारोहों में क्रूरता से इस्तेमाल किया जाता है। बचाए गए इन हाथियों को मथुरा स्थित भारत के पहले हाथी अस्पताल और हाथी संरक्षण एवं देखभाल केंद्र में सुरक्षित आश्रय, बेहतरीन चिकित्सा और पुनर्वास की सुविधा दी जाती है। इस अभियान ने मनु और हरी जैसे कई नेत्रहीन और गंभीर रूप से घायल हाथियों को नया जीवन दिया है।
वाइल्डलाइफ एसओएस की सह-संस्थापक गीता शेषमणि ने बताया, “इस अभियान का लक्ष्य कैप्टिव हाथियों की दर्द भरी कहानी को बदलना है। हमारे केंद्रों पर, हर बचाए गए हाथी का जीवन ज़ंजीरों और क्रूरता से करुणा और देखभाल में बदल जाता है। ये अभयारण्य इस बात का प्रमाण हैं कि आज़ादी कैसी होती है।
“हाथी सेवा: भारत का पहला मोबाइल क्लिनिक

वाइल्डलाइफ एसओएस ने एक और महत्वपूर्ण पहल करते हुए भारत का पहला हाथी मोबाइल क्लिनिक ‘हाथी सेवा’ लॉन्च किया है। यह क्लिनिक उन संकटग्रस्त हाथियों तक पहुंचता है जिन्हें तत्काल चिकित्सा की आवश्यकता होती है। इसमें विशेषज्ञ पशु चिकित्सकों की टीम और सभी आवश्यक उपचार सुविधाएं मौजूद हैं। इस पहल ने अब तक 130 से ज़्यादा हाथियों का इलाज किया है, जिनमें संक्रमित घावों और गंभीर चोटों से पीड़ित हाथी शामिल हैं।
वाइल्डलाइफ एसओएस के डायरेक्टर बैजूराज एम.वी. ने कहा, “‘हाथी सेवा’ एक अभूतपूर्व पहल है, जो दूर-दराज के इलाकों तक चिकित्सा सुविधा पहुंचाकर इन हाथियों को एक बेहतर जीवन का मौका दे रही है।
“हाथियों को बचाना क्यों ज़रूरी है?
वैश्विक स्तर पर, एशियाई हाथियों को आईयूसीएन (IUCN) द्वारा लुप्तप्राय (Endangered) श्रेणी में रखा गया है। जंगल में इनकी संख्या 50,000 से भी कम बची है। भारत की विशाल हाथी आबादी को बचाना इस प्रजाति के अस्तित्व के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह समय है कि हम सब मिलकर इन सौम्य और अद्भुत जीवों के सम्मान और सुरक्षा के लिए खड़े हों।