
बहादुरी की मिसाल: जान जोखिम में डालकर तेंदुए के जबड़े से बेटी को खींच लाई मां, वन विभाग ने कहा सियार हो सकता है
आगरा। आगरा के बाह क्षेत्र में एक मां ने अपनी 3 साल की बेटी को तेंदुए के जबड़े से बचाने के लिए अपनी जान दांव पर लगा दी। यह घटना मंगलवार को जैतपुर के नौगवां गांव में हुई, जहाँ एक बहादुर मां, रीमा, ने करीब 15 मिनट तक एक खूंखार जानवर से लड़ाई लड़ी और अपनी बेटी को सुरक्षित बाहर निकाल लाई। हालांकि, इस संघर्ष में मां-बेटी दोनों घायल हो गईं।
यह पूरी घटना तब हुई जब मंगलवार दोपहर करीब 1 बजे रीमा अपने घर के आंगन में बर्तन धो रही थीं और उनकी बेटी अर्पिता पास ही खेल रही थी। अचानक अर्पिता की चीख सुनकर रीमा ने देखा कि एक जानवर उनकी बेटी को अपने जबड़ों में दबाकर खींच रहा था। रीमा ने बिना एक पल भी सोचे अपनी बेटी को बचाने के लिए उस पर हमला कर दिया।
‘मुझे तो बस अपनी बेटी दिख रही थी

‘रीमा ने इस घटना को याद करते हुए बताया, “जब मैंने देखा कि मेरी बेटी खतरे में है, तो मुझे और कुछ नहीं सूझा। मुझे तो बस अपनी बेटी को बचाना था।” उन्होंने बताया कि जानवर ने उनकी बेटी के चेहरे पर हमला कर दिया था, और जब वह बीच में आईं तो उसने उनके सिर और उंगली पर भी काट लिया। इसके बावजूद, वह डटी रहीं और करीब 15 मिनट तक उस जानवर से लड़ती रहीं। उनके साहस के आगे जानवर को हार माननी पड़ी और वह अर्पिता को छोड़कर भाग गया।
मां-बेटी दोनों को तुरंत इलाज के लिए आगरा के एसएन मेडिकल कॉलेज ले जाया गया, जहाँ प्राथमिक उपचार के बाद उन्हें जैतपुर सीएचसी भेज दिया गया। अर्पिता के सिर और चेहरे पर गहरे चोट के निशान हैं, जबकि रीमा की उंगली और सिर पर चोटें आई हैं।
वन विभाग की जांच जारी
रीमा के शोर मचाने पर आसपास के ग्रामीण मौके पर पहुंचे, लेकिन तब तक जानवर भाग चुका था। जैतपुर के रेंजर कोमल सिंह ने बताया कि इस इलाके में तेंदुआ कभी नहीं देखा गया है। उन्होंने आशंका जताई कि हमला करने वाला जानवर लकड़बग्घा या सियार हो सकता है। वन विभाग की टीम मौके पर पहुंच गई है और जानवर की पहचान करने की कोशिश कर रही है। साथ ही, ग्रामीणों को भी सतर्क रहने के लिए कहा गया है।