
ब्रज संस्कृति को जीवंत रखने की अपील, ‘श्री गुरुवे नमः सम्मान’ से नवाजे गए उमेश चंद्र शर्मा
आगरा। 13 जुलाई 2025 को सावन के पहले सोमवार की पूर्व संध्या पर देवनागरी साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संस्था, आगरा ने ‘मल्हार मनवा’ कार्यक्रम का बड़े ही धूमधाम से आयोजन किया। इस सांस्कृतिक संध्या में ब्रज की लोक-गायन परंपरा ‘मल्हार’ का अद्भुत संगम देखने को मिला, जहाँ कवियों और साहित्यकारों ने अपनी प्रस्तुतियों से समां बांध दिया।
राग मल्हार: ब्रज लोक गायन का जनक
मथुरा से पधारे कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रख्यात कवि आचार्य नीरज शास्त्री ने अपने संबोधन में ‘राग मल्हार’ के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने कहा, “पौराणिक संदर्भों में राग मल्हार को ब्रज लोक गायन का जनक माना जाता है। ब्रज संस्कृति को जीवंत रखने के लिए मल्हार लेखन और गायन वर्तमान की बेहद ज़रूरत है।” उनके इन शब्दों ने कार्यक्रम की गरिमा को और बढ़ा दिया।

संस्कार भारती आगरा के जनक राज बहादुर राज ने दीप प्रज्ज्वलन करते हुए अपने सनातन उद्बोधन में कहा कि, “प्राचीन काल के मल्हार की जो देन है, वह हिंदुस्तान की लोक संस्कृति के योगदान की है।” कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कवि सम्राट डॉ. राजेंद्र मिलन ने मल्हार के अस्तित्व पर प्रकाश डाला और इस विधा में कजरी व रागिनी के काव्यात्मक उल्लेख की बात कही।
मुख्य वक्ता डॉ. रामेन्द्र शर्मा ‘रवि’ ने सावन के महीने और मल्हार गायन के गहरे संबंध पर ज़ोर देते हुए कहा, “सावन का महीना हो और मल्हार गायन सृजन न हो, तो समझो ब्रज की साधना अधूरी है।” विशिष्ट अतिथि डॉ. सुकेशिनी दीक्षित ने ब्रज भाषा में अपनी प्रस्तुति दी और ब्रज में नवगीत लेखन पर प्रकाश डाला।
‘श्री गुरुवे नमः सम्मान’ से अलंकृत हुए उमेश चंद्र शर्मा
कार्यक्रम का कुशल संचालन कवि डॉ. यशोयश ने किया, जिन्होंने आतिथ्य सत्कार कर सभी कवियों का आभार व्यक्त किया। इस अवसर पर कार्यक्रम का एक मुख्य आकर्षण रहा “श्री गुरुवे नमः सम्मान”। वरिष्ठ शिक्षाविद् डॉ. गोकुल चंद्र शर्मा के कर-कमलों द्वारा आदर्श शिक्षक श्री उमेश चंद्र शर्मा जी को इस प्रतिष्ठित सम्मान से अलंकृत किया गया।
इस ‘मल्हार मनवा’ उत्सव में विनय बंसल, डॉ. अनामिका भारद्वाज, प्रभुदत्त उपाध्याय, रामजीलाल धनगर, डॉ. हरवीर परमार, कमलेश शर्मा, अनुज शर्मा, शिवानी शर्मा, प्रियंका शर्मा, आराध्या शर्मा और मास्टर अभिनव शर्मा सहित कई कवियों और कलाकारों ने राग मल्हार विधा में अपनी मनमोहक प्रस्तुतियां दीं, जिससे पूरा वातावरण संगीतमय हो गया। यह आयोजन ब्रज की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को अक्षुण्ण बनाए रखने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुआ।