कॉलेज के खेल मैदान पर मेट्रो के कब्जे से बढ़ा आक्रोश, मंत्री ने त्वरित कार्रवाई का दिया आश्वासन

आगरा कॉलेज की सैकड़ों वर्ष पुरानी विरासत और छात्रों के भविष्य से जुड़ा एक गंभीर मामला आज सामने आया, जब कॉलेज के शिक्षकों के एक प्रतिनिधिमंडल ने मेट्रो प्राधिकरण द्वारा कॉलेज की भूमि पर किए गए कथित अनाधिकृत कब्जे के विरोध में उत्तर प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री योगेन्द्र उपाध्याय से मुलाकात की। कॉलेज के प्राचार्य प्रोफेसर सी. के. गौतम के नेतृत्व में शिक्षकों ने मंत्री को एक औपचारिक ज्ञापन सौंपकर हस्तक्षेप की मांग की।

आगरा कॉलेज, आगरा के प्राचार्य प्रोफेसर सी. के. गौतम के नेतृत्व में कॉलेज के शिक्षकों का एक महत्वपूर्ण प्रतिनिधिमंडल उच्च शिक्षा मंत्री योगेन्द्र उपाध्याय के कार्यालय पहुंचा। इस मुलाकात का मुख्य उद्देश्य मेट्रो प्राधिकरण द्वारा कॉलेज की दो महत्त्वपूर्ण भूमियों, गाटा संख्या 281 और 282, पर किए जा रहे अनाधिकृत निर्माण कार्य को रोकना था। ये भूमियाँ सरकारी अभिलेखों में कॉलेज के खेल मैदान (प्ले ग्राउंड) के रूप में दर्ज हैं और कॉलेज के स्वामित्व में हैं।

प्रतिनिधिमंडल ने उच्च शिक्षा मंत्री को स्पष्ट रूप से बताया कि कॉलेज की प्रबंध समिति द्वारा इन भूमियों के हस्तांतरण के संबंध में कभी कोई प्रस्ताव पारित नहीं किया गया है, न ही कॉलेज को इस भूमि के एवज में कोई मुआवजा प्राप्त हुआ है। यह स्थिति सीधे तौर पर एक शैक्षणिक संस्था की संपत्ति और स्वायत्तता का उल्लंघन है, जिससे छात्रों के हितों और संस्थान की गरिमा को गंभीर क्षति पहुँचने का खतरा है।

प्रोफेसर गौतम ने यह भी उजागर किया कि मेट्रो प्राधिकरण जानबूझकर गाटा संख्या 281 और 282 पर काम कर रहा है, लेकिन भ्रम फैलाने के उद्देश्य से इसे गाटा संख्या 286 बता रहा है। यह एक भ्रामक और त्रुटिपूर्ण तथ्य है। उन्होंने जोर देकर कहा कि आगरा कॉलेज की यह भूमि ‘आगरा कॉलेज ट्रस्ट’ के स्वामित्व में है, न कि राज्य सरकार की। इसलिए, इस भूमि के हस्तांतरण या उपयोग का अधिकार केवल और केवल आगरा कॉलेज ट्रस्ट के पास है। सरकार या किसी अन्य प्राधिकरण को इस पर स्वामित्व या अधिग्रहण का कोई वैध अधिकार नहीं है।

मेट्रो प्राधिकरण का यह कृत्य न केवल भ्रम फैला रहा है, बल्कि कानूनी और नैतिक रूप से भी गलत आधार पर कार्य कर रहा है।शिक्षकों ने मांग की कि मेट्रो प्राधिकरण द्वारा आगरा कॉलेज की वैध भूमि पर किया जा रहा यह निर्माण कार्य पूर्णतः अनधिकृत, गैरकानूनी और शैक्षणिक संस्थान की स्वायत्तता का स्पष्ट उल्लंघन है, जिस पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाना अत्यंत आवश्यक है।

उच्च शिक्षा मंत्री योगेन्द्र उपाध्याय ने प्रतिनिधिमंडल को आश्वस्त किया कि वे इस गंभीर विषय पर गंभीरता से विचार करेंगे। उन्होंने यह भी बताया कि जल्द ही आगरा के सर्किट हाउस में प्रशासन, मेट्रो प्राधिकरण और संबंधित विभागों के साथ एक संयुक्त बैठक आयोजित की जाएगी ताकि इस प्रकरण का शीघ्र समाधान निकाला जा सके।

प्रतिनिधिमंडल में प्रो. सी. के. गौतम के साथ प्रो. मृणाल शर्मा, प्रो. पूनम चांद, प्रो. जयश्री भारद्वाज, प्रो. संध्या यादव, प्रो. विजय कुमार सिंह, प्रो. अशोक कुमार सिंह, प्रो. दीपक उपाध्याय, डॉ. गौरव कौशिक, प्रोफेसर दिग्विजय पाल सिंह, प्रो. अमित चौधरी, प्रो. संजीव शर्मा, प्रोफेसर उमाकांत चौबे, प्रो. शोभनाथ जैसल, प्रो. अमरनाथ, प्रो. सुधेन्द्रनाथ, डॉ. सुरेन्द्र पाल सिंह, पंकज सक्सेना एडवोकेट जैसे कई प्रमुख शिक्षक शामिल थे।