दयालबाग सेमिनार में डॉ. नीतिका पारीक को किया गया सम्मानित

आगरा : सुबह उठते ही कमर दर्द, शरीर में जकड़न और हर समय थकान महसूस होना यदि आपकी दिनचर्या का हिस्सा बन चुका है, तो यह लक्षण एंकिलोसिंग स्पांडलाइटिस (Ankylosing Spondylitis) के हो सकते हैं। यह एक गंभीर और जटिल रीढ़ की बीमारी है, जो समय के साथ विकलांगता का कारण बन सकती है। हालांकि, एक हालिया शोध में होम्योपैथी को इस रोग के इलाज में बेहद प्रभावी पाया गया है।

पारीक होम्योपैथिक सेंटर की निदेशक और वरिष्ठ होम्योपैथिक चिकित्सक डॉ. नीतिका पारीक के अनुसार, “आजकल रीढ़ और मेरूदंड से जुड़ी समस्याएं तेजी से बढ़ रही हैं। गलत तरीके से बैठना, मोबाइल का अत्यधिक उपयोग और लेटकर टीवी देखने जैसी आदतें इसके मुख्य कारण हैं।

“डॉ. नीतिका बताती हैं कि एंकिलोसिंग स्पांडलाइटिस एक वंशानुगत और लाइलाज मानी जाने वाली बीमारी है, जिससे शरीर में झुकाव (कुबड़ापन) आ सकता है। पारंपरिक चिकित्सा में इस रोग के मरीजों को वर्षों तक पेन किलर पर निर्भर रहना पड़ता है, जिससे किडनी पर दुष्प्रभाव पड़ सकता है। वहीं, आधुनिक एंटी टीएनएफ थेरेपी भले ही असरदार हो, पर शरीर में छिपी टीबी को सक्रिय कर सकती है।

इन्हीं जटिलताओं को देखते हुए डॉ. नीतिका ने होम्योपैथी के प्रभाव की वैज्ञानिक जांच की। इस शोध में ब्रिटेन के बाथ विश्वविद्यालय द्वारा तैयार एंकिलोसिंग स्पांडलाइटिस इंडेक्स को आधार बनाकर मरीजों पर इलाज के प्रभावों का विश्लेषण किया गया। परिणाम अत्यंत सकारात्मक रहे और यह उपचार पद्धति अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रभावशाली मानी गई।

इस शोध का प्रकाशन इटली में हुआ है और हाल ही में दयालबाग एजुकेशनल इंस्टीट्यूट (डीईआई) द्वारा आयोजित राष्ट्रीय सेमिनार में डॉ. नीतिका पारीक ने इसे कीनोट स्पीकर के रूप में प्रस्तुत किया। उनकी इस उपलब्धि पर उन्हें विशेष रूप से सम्मानित भी किया गया।