सावन के पावन महीने में नाग देवता की आराधना से पाएं भय और जीवन की बाधाओं से छुटकारा

आगरा, सावन के पावन महीने (Sawan Month 2025) में आने वाला हिंदू धर्म का एक अत्यंत महत्वपूर्ण और आस्था से जुड़ा पर्व, नाग पंचमी 2025, बड़े धूमधाम से मनाया जाएगा। यह त्योहार विशेष रूप से नाग देवता को समर्पित है और श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को पड़ता है। जैसा कि यह त्योहार नागों के प्रति सम्मान और श्रद्धा का प्रतीक है, मान्यता है कि इस दिन नागों की श्रद्धापूर्वक पूजा करने से भक्तों को कालसर्प दोष और सर्प भय जैसी बाधाओं से मुक्ति मिलती है।

नाग पंचमी का महत्व:

पौराणिक कथाएं और आध्यात्मिक लाभनाग पंचमी का पर्व हिंदू धर्म में एक विशेष स्थान रखता है। यह सिर्फ एक त्योहार नहीं, बल्कि नाग देवता की कृपा प्राप्त करने और उनसे आशीर्वाद लेने का एक महत्वपूर्ण अवसर है। पौराणिक कथाओं में नागों का विशेष महत्व रहा है। वे भगवान शिव के गले का हार हैं, भगवान विष्णु शेषनाग पर विराजमान होते हैं, और भगवान कृष्ण ने भी बचपन में कालिया नाग का दमन किया था। ये सभी प्रसंग नागों के आध्यात्मिक और दैवीय स्वरूप को दर्शाते हैं।

इस शुभ दिन पर भक्त नाग देवता को दूध, लावा, फूल और चंदन अर्पित करते हैं। कई लोग नाग मंदिरों में जाकर या नागों की प्रतिमाओं की पूजा कर उनसे अपनी और अपने परिवार की सुरक्षा की कामना करते हैं। यह माना जाता है कि नाग पंचमी के दिन नागों को कष्ट नहीं पहुंचाना चाहिए, बल्कि उनका सम्मान करना चाहिए, क्योंकि वे प्रकृति के संतुलन का अभिन्न अंग हैं।

कालसर्प दोष निवारण और भय मुक्ति का विशेष योग

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जो व्यक्ति कालसर्प दोष से पीड़ित होते हैं, उनके लिए नाग पंचमी का दिन बेहद खास होता है। ज्योतिष शास्त्र में कालसर्प दोष को एक ऐसा योग माना जाता है जो व्यक्ति के जीवन में कई प्रकार की बाधाएं और चुनौतियां लेकर आता है। ऐसा कहा जाता है कि इस दिन नाग देवता की आराधना करने से कालसर्प दोष का प्रभाव काफी हद तक कम हो जाता है, जिससे जीवन में आने वाली कई बाधाएं दूर हो जाती हैं।

इसके साथ ही, सर्पदंश (सांप के काटने का भय) और अन्य भय, बीमारियां तथा परेशानियां भी कम होने लगती हैं। नाग देवता को आध्यात्मिक शक्ति, धन और सुरक्षा का प्रतीक माना जाता है। उनकी पूजा से न केवल जीवन में सुरक्षा और स्थिरता आती है, बल्कि यह भक्तों को आध्यात्मिक प्रगति की ओर भी ले जाती है।

भारत भर के नाग मंदिरों और शिवालयों में विशेष पूजा-अर्चना की तैयारियां जोरों पर हैं। मंगलवार को पड़ने वाले इस पर्व पर भक्त सुबह से ही मंदिरों में उमड़ेंगे और नाग देवता से सुख-शांति व समृद्धि की कामना करेंगे। स्थानीय पुजारी और पंडित इस दिन विशेष अनुष्ठानों का आयोजन करेंगे, जिसमें कालसर्प दोष निवारण के लिए मंत्रोच्चार और हवन शामिल होंगे।