सिविल सोसायटी ऑफ आगरा ने यमुना-उटंगन संगम पर कराई ड्रोन मैपिंग, गिरते भूजल स्तर और पानी की कमी का स्थायी समाधान बनेगी रेहावली बांध परियोजना।

आगरा की उटंगन नदी एक बार फिर पानी से लबालब बह रही है। मानसून की मेहरबानी और यमुना नदी के बैकवाटर के कारण नदी में भरपूर जलराशि है, जिससे दशकों पुरानी रेहावली बांध परियोजना की उम्मीदें फिर से जाग उठी हैं। इस अवसर को गंवाए बिना, सिविल सोसायटी ऑफ आगरा ने 17 जुलाई 2025 को नदी के संगम स्थल से लेकर अरनौटा पुल तक ड्रोन से मैपिंग करवाई है, ताकि बांध निर्माण के लिए एक सटीक और तथ्य-आधारित प्रस्ताव तैयार कर शासन को भेजा जा सके। यह परियोजना आगरा के कई विकास खंडों के लिए गिरते भूजल स्तर और खारे पानी की समस्या का स्थायी समाधान बन सकती है।

आगरा, इस साल मानसून में अच्छी बारिश के चलते उटंगन नदी में फिर से जीवन लौट आया है। नदी अपने उद्गम स्थल की ओर से तो पानी से भरी है ही, साथ ही यमुना नदी का पानी भी फतेहाबाद के रेहावली गांव के पास संगम स्थल से वापस उटंगन में आ रहा है। यह स्थिति तब है जब यमुना अभी खतरे के निशान से नीचे है, जो इस बात का संकेत है कि नदी में जलसंचय की अपार संभावनाएं हैं।

ड्रोन मैपिंग से मिली नई दिशा

पानी की इस विशाल मात्रा को सहेजने और इसके नियंत्रित उपयोग का रास्ता साफ करने के लिए सिविल सोसायटी ऑफ आगरा ने एक महत्वपूर्ण पहल की है। संस्था ने वाइल्डलाइफ फोटोग्राफर ललित रजौरा और फोटो पत्रकार असलम सलीमी के सहयोग से अरनौटा रेलवे पुल से रेहावली संगम तक की ड्रोन मैपिंग पूरी की है। इस हाई-टेक सर्वेक्षण से उन सभी तकनीकी सवालों के जवाब मिल जाएंगे, जो सालों से इस योजना के आड़े आ रहे थे। इससे यह स्पष्ट होगा कि बांध बनने पर कितना क्षेत्र डूब में आएगा और किसानों के लिए पानी का प्रबंधन कैसे किया जा सकेगा।

क्यों खास है यह बांध परियोजना?

सिंचाई विभाग के एक सर्वेक्षण के अनुसार, उटंगन नदी का तल यमुना से करीब 4 मीटर ऊंचा है। इसका मतलब है कि बांध बनाकर मानसून के पानी को आसानी से रोका जा सकता है। सिविल सोसायटी के महासचिव अनिल शर्मा ने बताया, “यह बांध शमशाबाद, फतेहाबाद और पिनाहट जैसे इलाकों के लिए वरदान साबित होगा, जहां भूजल स्तर तेजी से गिर रहा है और पानी खारा हो गया है।

“स्थानीय लोगों और प्रशासन का समर्थन

रेहावली के ग्राम प्रधान लायक सिंह का कहना है, “दो नदियों के बीच बसे होने के बावजूद हम मानसून के बाद पानी के लिए तरसते हैं। यह बांध बनेगा तो हमारी किस्मत बदल जाएगी।” वहीं, जिला पंचायत अध्यक्ष डॉ. मंजू भदौरिया ने भी सिंचाई विभाग को इस परियोजना का प्रस्ताव जल्द से जल्द तैयार करने के निर्देश दिए हैं ताकि इसे शासन से मंजूरी दिलाई जा सके।

यह बांध न केवल आगरा की पानी की समस्या को दूर करेगा, बल्कि बटेश्वर तीर्थ में धार्मिक पर्वों के दौरान यमुना में पानी छोड़कर स्नान के लिए भी जल उपलब्ध करा सकेगा। अब सभी की निगाहें प्रशासन पर टिकी हैं कि वह इस सुनहरे अवसर को हकीकत में बदलने के लिए कितनी तेजी से काम करता है।