आगरा शहर को मिलने वाले गंगाजल में कटौती की तैयारी चल रही है, जिससे आने वाले समय में पानी की किल्लत और बढ़ सकती है. सिविल सोसाइटी ऑफ आगरा ने इस पर चिंता जताई है और लोगों से इस बारे में जानकारी सार्वजनिक करने की मांग की है।

क्या है मामला?

अभी आगरा को गंगाजल पाइपलाइन से 140 क्यूसेक पानी मिलता है (जिसमें से 10 क्यूसेक मथुरा को चला जाता है). अब जल निगम की एक नई योजना के तहत, इसी पानी में से 55 एमएलडी (मिलियन लीटर प्रतिदिन) पानी एत्मादपुर तहसील के गांवों को दिया जाएगा. यह “आगरा जलापूर्ति पुनर्गठन योजना” के तहत किया जा रहा है.वर्तमान में सिकंदरा में 144 एमएलडी क्षमता का वाटर ट्रीटमेंट प्लांट है, जिससे पूरे शहर में पानी बांटा जाता है. अगर इसमें से 55 एमएलडी पानी ट्रांस यमुना क्षेत्र को दिया जाता है, तो आगरा महानगर के लिए सिर्फ 91 एमएलडी पानी ही बचेगा (144 एमएलडी – 55 एमएलडी = 91 एमएलडी).सिविल सोसाइटी की चिंताएं सिविल सोसाइटी ऑफ आगरा का कहना है कि 144 एमएलडी पानी भी आगरा की 24 लाख से ज्यादा आबादी के लिए पर्याप्त नहीं है, तो 91 एमएलडी में शहर को साफ और अच्छा पानी कैसे मिल पाएगा?

सिविल सोसाइटी के जनरल सेक्रेटरी अनिल शर्मा ने जल निगम के चीफ इंजीनियर और गंगाजल प्रोजेक्ट यूनिट के जनरल मैनेजर से इस कटौती के बाद आगरा में पानी की क्या स्थिति होगी, इसकी जानकारी सार्वजनिक करने को कहा है.अनिल शर्मा ने यह भी कहा कि इस योजना पर नगर निगम सदन में पार्षदों के सामने चर्चा होनी चाहिए. जल निगम के अधिकारियों को बताना चाहिए कि एत्मादपुर के गांवों के लिए अलग से पानी का इंतजाम करने के बजाय, आगरा के हिस्से के गंगाजल में कटौती क्यों की जा रही है.

आगरा जलापूर्ति पुनर्गठन योजना” क्या है?

यह योजना ट्रांस यमुना जोन- I और II के लिए है, जो पानी की कमी वाला क्षेत्र है. इस योजना के तहत, गाजियाबाद की ईएमएस लिमिटेड को 1 अरब रुपये से ज़्यादा का ठेका मिला है. कंपनी एक इंटेक वेल, एक पंप हाउस, एक एप्रोच ब्रिज और एक बड़ी पाइपलाइन बनाएगी, जो 55 एमएलडी क्षमता के नए वाटर ट्रीटमेंट प्लांट से जुड़ेगी. यह योजना महानगर के ट्रांस यमुना क्षेत्र के आसपास के शहरी और अर्ध-शहरी इलाकों को कवर करेगी.गंगाजल पाइपलाइन परियोजना का इतिहासआगरा में गंगाजल पाइपलाइन परियोजना जापान की जायिका (JICA) की मदद से पूरी हुई थी. इस पर करीब 2,880 करोड़ रुपये खर्च हुए थे. इसका मकसद बुलंदशहर के पलड़ा हेडवर्क्स से 140 क्यूसेक गंगाजल लाकर शहर की पानी की समस्या को खत्म करना था. इस योजना में सिकंदरा में 144 एमएलडी का वाटर ट्रीटमेंट प्लांट भी शामिल था. हालांकि, कागजों पर पानी की समस्या हल होने का अनुमान था, लेकिन अभी भी आगरा के 40% से ज्यादा इलाकों को गंगाजल नहीं मिल पाता है या बहुत कम दबाव से मिलता है.