आगरा, उत्तर प्रदेश: उत्तर प्रदेश में मानसून के आगमन के साथ ही साँपों के दिखने की घटनाओं में उल्लेखनीय वृद्धि देखी जा रही है। बारिश के पानी से साँपों के प्राकृतिक आवास प्रभावित होने के कारण, ये सरीसृप सूखे और सुरक्षित स्थानों की तलाश में अक्सर रिहायशी इलाकों में प्रवेश कर रहे हैं।

पिछले कुछ वर्षों के अनुभवों के आधार पर, वाइल्डलाइफ एसओएस लोगों और साँपों दोनों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए मानव-साँप संघर्ष को कम करने हेतु जागरूकता अभियान और जिम्मेदार व्यवहार को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है।पिछले मानसून के मौसम में, वाइल्डलाइफ एसओएस ने सरीसृप रेस्क्यू में महत्वपूर्ण वृद्धि दर्ज की है, जिसमें कोबरा, कॉमन क्रेट, अजगर, वुल्फ स्नेक, इंडियन रैट स्नेक और ब्लैक-हेडेड रॉयल स्नेक जैसी कई प्रजातियाँ शामिल हैं।

ये साँप अक्सर जलभराव के कारण अपने मूल स्थानों से विस्थापित हो जाते हैं और सूखे स्थान व गर्मी की तलाश में मानव निर्मित परिवेश में आ जाते हैं।वाइल्डलाइफ एसओएस के सह-संस्थापक और सीईओ, कार्तिक सत्यनारायण ने इस स्थिति पर प्रकाश डालते हुए कहा, “मानसून एक महत्वपूर्ण समय है जब मानव-साँप मुठभेड़ अधिक आम हो जाती हैं।

घबराहट में अनावश्यक प्रतिक्रिया देने के बजाय, लोग साँप के व्यवहार को समझकर और सरल, निवारक कदम उठाकर खुद को बचा सकते हैं। अधिकांश साँप विषहीन होते हैं और कृंतक आबादी को नियंत्रण में रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।”इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए, वाइल्डलाइफ एसओएस कुछ महत्वपूर्ण सुझाव दे रहा है:

अपने आसपास के क्षेत्र को साफ और कृंतक-मुक्त रखें।

घरों में नालियों और दरारों को सील करें।

कचरे को बस्ती से दूर रखें।

घास वाले या जलभराव वाले क्षेत्रों में नंगे पैर चलने से बचें।

यदि आपको कोई साँप दिखाई दे, तो उसे उकसाने या छूने से बचें।

सुरक्षित सहायता के लिए तुरंत वाइल्डलाइफ एसओएस की आपातकालीन बचाव हेल्पलाइन (+91 9917109666) पर कॉल करें।

वाइल्डलाइफ एसओएस में डायरेक्टर कंजर्वेशन प्रोजेक्ट्स, बैजूराज एम.वी. ने इस बात पर जोर दिया, “हम लोगों को तथ्यों से जागरूक करना चाहते हैं, न कि डर से। यह समझना कि अधिकांश साँप आक्रामक नहीं होते हैं, मनुष्यों और साँप दोनों को अनावश्यक नुकसान से बचाने में मदद कर सकता है।