
आगरा: UPSIDC सिकंदरा का ड्रेनेज सिस्टम 80 करोड़ से होगा ठीक
आगरा के औद्योगिक क्षेत्र सिकंदरा (UPSIDC) में लंबे समय से चली आ रही जल निकासी की समस्या का जल्द ही स्थायी समाधान होने जा रहा है। मंडल स्तरीय उद्योग बंधु समिति की बैठक में इस समस्या के समाधान के लिए आगरा विकास प्राधिकरण (ADA) द्वारा लगभग 80 करोड़ रुपये की एक परियोजना तैयार की गई है। इस परियोजना के तहत, क्षेत्र के ड्रेनेज सिस्टम को पूरी तरह से ठीक किया जाएगा।
क्या थी समस्या?
औद्योगिक क्षेत्र के व्यापारियों ने मंडलायुक्त शैलेंद्र कुमार सिंह की अध्यक्षता में हुई बैठक में बताया कि राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) द्वारा निर्मित पुलियों (culverts) का इनवर्ट लेवल सही नहीं है और जल प्रवाह भी गुरुत्वाकर्षण के अनुरूप नहीं है, जिसके कारण जल निकासी में भारी दिक्कतें आती हैं। बारिश के दिनों में यह समस्या और भी गंभीर हो जाती है, जिससे उद्योगों को काफी नुकसान होता है।
अधिकारियों को दिए गए सख्त निर्देश
इस समस्या को गंभीरता से लेते हुए, मंडलायुक्त ने एडीए और नगर निगम को निर्देश दिए हैं कि वे व्यापारियों के साथ मिलकर संयुक्त निरीक्षण करें। इस निरीक्षण का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि प्रस्तावित 80 करोड़ रुपये की परियोजना लागू होने के बाद जल निकासी की समस्या पूरी तरह से और स्थायी रूप से हल हो जाए।
नुनिहाई में भी जल निकासी की समस्या पर चर्चा
बैठक में औद्योगिक क्षेत्र नुनिहाई की जल निकासी पर भी बात हुई। अधिकारियों ने बताया कि रेलवे लाइन पुलिया तक निर्मित नाले के जल निकासी के लिए एकमात्र विकल्प रेलवे की भूमि से होकर भूमिगत ह्यूम पाइप बिछाना है। इसके लिए रेलवे विभाग से अनापत्ति प्रमाण पत्र (NOC) लेना आवश्यक है। मंडलायुक्त ने इस संबंध में नगर निगम को निर्देश दिए कि वे रेलवे से एनओसी प्राप्त कर इस समस्या का समाधान कराएं। इसके साथ ही उद्योग विभाग को भी इस संबंध में एक प्रस्ताव बनाकर शासन को भेजने का निर्देश दिया गया है।
टीटीजेड क्षेत्र में बिजली कनेक्शन की समस्या
बैठक में टीटीजेड (Taj Trapezium Zone) क्षेत्र में बिजली कनेक्शन की समस्या भी उठाई गई। व्यापारियों ने बताया कि एनओसी न मिलने के कारण कई इकाइयों को बिजली कनेक्शन नहीं मिल पा रहे हैं। इस पर डीवीवीएनएल के अधिकारी ने स्पष्ट किया कि वर्तमान में केवल प्रदूषण-मुक्त इकाइयों को ही कनेक्शन दिए जा रहे हैं। टीटीजेड से संबंधित मामलों में न्यायालय के आदेश के बाद ही आगे कोई निर्णय लिया जा सकेगा।