भक्ति और उल्लास से सरोबार माहौल, स्वतंत्रता दिवस के बाद शुरू हुआ जन्माष्टमी का जश्न

आगरा, उत्तर प्रदेश: पूरे देश में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पर्व धूमधाम से मनाया जा रहा है। भगवान कृष्ण के जन्मोत्सव की तैयारियां अपने चरम पर हैं। स्वतंत्रता दिवस के जश्न के बाद से ही लोग शाम को बाजारों में खरीदारी के लिए निकल पड़े हैं। कान्हा के श्रृंगार और साज-सज्जा के सामान से बाजार जगमगा रहे हैं। घर-घर में बाल गोपाल के जन्मोत्सव को लेकर उत्साह का माहौल है।

शुभ मुहूर्त में करें पूजा, जानें रोहिणी नक्षत्र का समय

जन्माष्टमी पर भगवान कृष्ण का जन्म मध्य रात्रि को हुआ था, इसलिए इस समय पूजा का विशेष महत्व है।

पूजा का शुभ मुहूर्त:

रात 12:04 बजे से 12:47 बजे तक। *

कुल अवधि: 43 मिनट।

भगवान कृष्ण का जन्म रोहिणी नक्षत्र में हुआ था।

बाजार में छाई कान्हा की पोशाकों और झूले की रौनक

जन्माष्टमी के लिए बाजारों में खास रौनक दिखाई दे रही है। भगवान के लिए सुंदर पोशाकों की एक विशाल श्रृंखला उपलब्ध है। इनमें 50 रुपये से लेकर 1500 रुपये तक की हल्की और आकर्षक कढ़ाई वाली ड्रेस शामिल हैं।

पोशाकों के साथ-साथ पीतल और अन्य धातुओं से बने सुंदर झूले भी लोगों का ध्यान खींच रहे हैं। इन झूलों के अलावा, कान्हा के लिए छोटे-छोटे बिस्तर, सोफा सेट और सिंहासन भी उपलब्ध हैं, जो उनकी साज-सज्जा को और भी भव्य बना रहे हैं।

मंदिरों से लेकर घरों तक सजाई जा रहीं हैं आकर्षक झांकियां

कान्हा के लिए बांसुरी, मुकुट, और अन्य श्रृंगार का सामान भी दुकानों में सजा हुआ है। मोतियों और कलात्मक सजावट वाले मुकुट, और मनमोहक बांसुरी ग्राहकों को आकर्षित कर रही हैं। मिट्टी से बनी श्रीकृष्ण की मूर्तियां भी खूब पसंद की जा रही हैं।

जन्माष्टमी के अवसर पर मंदिरों और सार्वजनिक स्थानों पर विशेष कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है। इसके लिए बच्चों के लिए श्रीकृष्ण की ड्रेस भी उपलब्ध हैं, ताकि वे भी बाल गोपाल बनकर उत्सव में शामिल हो सकें। शहर के छोटे-बड़े सभी मंदिरों को रंग-बिरंगी रोशनी से सजाया जा रहा है और आकर्षक झांकियां भी तैयार की जा रही हैं। बच्चे भी अपने घरों में झांकियां सजाने में व्यस्त हैं।

जन्माष्टमी पर ऐसे करें बाल गोपाल की पूजा

भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को भगवान कृष्ण का प्राकट्य हुआ था। इस दिन भक्तगण निर्जला उपवास रखते हैं और मध्य रात्रि के शुभ मुहूर्त में खीरे से कान्हा का जन्म कराया जाता है। फिर उन्हें पंचामृत से स्नान कराया जाता है और सुख-समृद्धि के लिए प्रार्थना की जाती है। इस दिन भगवान के शालिग्राम, लड्डू गोपाल और राधा-कृष्ण स्वरूप की पूजा की जाती है।